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Bollywood-OTT has a new trend of extracting stories from the sea of literature, the competition for rights | बॉलीवुड-ओटीटी में साहित्य के समुद्र से कहानियां निकालने का नया ट्रेंड, राइट्स की होड़

फिल्मी कहानियों में लौटा साहित्य का दौर, पब्लिकेशन्स से संपर्क में प्रोडक्शन हाउस।

भारत में ओटीटी (ओवर द टॉप स्ट्रीमिंग) के बढ़ते बाजार के चलते ऑरिजनल कंटेंट की मांग जोर पकड़ रही है। नया, ऑरिजनल, सहज, मासूम, छोटे गांव-कस्बे, क्राइम थ्रिलर, सस्पेंस की कहानियां ओटीटी का नया बाजार है। इसके लिए प्रोडयूसर-डायरेक्टर ने अब फिल्म राइटर को दो लाइन देकर बेजान कहानी डेवलप करवाने के बजाय साहित्य के समुद्र से कहानियां निकालने का नया ट्रेंड शुरू किया है।

एक जमाना था जब ‘गाइड’, ‘तीसरी कसम’, ‘नौकर की कमीज’, ‘शतरंज के खिलाड़ी’, ‘रजनीगंधा’, ‘सारा आकाश’ जैसी सुपरहिट फिल्में साहित्य की देन थीं। ऑरिजनल और क्वालिटी कंटेंट की कमी से जूझ रहे ओटीटी और बॉलीवुड ने एक दफा फिर से किताब जगत में गोते लगाकर बेहतरीन कहानियों की तलाश शुरू की है।

किताबें बन रही हैं फिल्मी कहानियों का बड़ा सोर्स
हाल ही में कई प्रोड्यूसर-डायरेक्टर्स ने कुछ किताबों के राइट्स लिए हैं और कुछ प्रोडक्शन हाउस की पब्लिशिंग हाउस से डील के लिए बातचीत जारी है। सूत्रों का कहना है कि प्रोड्यूसर-डायरेक्टर अनुभव सिन्हा ने पहले पर्दे के लिए श्रीलाल शुक्ला के उपन्यास ‘रागदरबारी’ के राइट्स ले लिए हैं।

नेटफ्लिक्स की टॉपहिट फिल्म ‘शी’ के निर्देशक अविनाश दास बताते हैं कि हाल ही में उन्होंने खुद निखिल प्रधान के अंग्रेजी नॉवेल ‘दि कोल्ड ट्रुथ’ के राइट्स लिए हैं। उनके अनुसार जिस तरह से किताबों के राइट्स लेने का काम चल रहा है, कहा जा सकता है कि इस वक्त किताबें फिल्मी कहानियों का बड़ा सोर्स बन रही हैं।

साल 2024 में भारत ओटीटी के लिहाज से दुनिया का छठा सबसे बड़ा देश बन जाएगा
वाणी प्रकाशन की डायरेक्टर अदिति महेश्वरी का कहना है कि मुंबई के प्रोडक्शन हाउस ने जिन किताबों के लिए संपर्क किया है। उनमें मनोहर श्याम जोशी और नरेंद्र कोहली के उपन्यास भी शामिल हैं। इनके अलावा वाणी ने हॉरर सीरीज में कई उपन्यास छापे थे। जिसमें कई प्रोडक्शन हाउस ने पूछताछ की है। साहित्यकार गीताश्री भी एक प्रोडक्शन हाउस के लिए यूपी पर आधारित कहानी लिख रही हैं।

वह बताती हैं कि उनसे खासतौर पर उत्तर प्रदेश आधारित कहानियां मांगी गई हैं। ओटीटी के लिए भारत न केवल नया बल्कि सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक है। साल 2024 में भारत ओटीटी के लिहाज से दुनिया का छठा सबसे बड़ा देश बन जाएगा। प्राइसवाटरहाउस कूपर्स (पीडब्ल्यूसी) की एक रिपोर्ट बताती है कि कोविड की वजह से ओटीटी के बिजनेस को बूम मिला है और यह लगातार जारी रहेगा।

साल 2024 तक इसके 5 बिलियन डॉलर तक होने की संभावना है। इस वक्त देश में अंदाजन 40 ओटीटी प्लेटफॉर्म हैं। इतनी बड़ी तादाद में ओटीटी प्लेटफॉर्म हैं और इतने ही लगभग पाइपलाइन में हैं, तो इसके लिए ऑरिजनल कंटेंट भी चाहिए। जाहिर है जब प्लेटफॉर्म इतने हैं, तो कंटेट भी चाहिए, जिसमें किताबें काम करेंगी।

‘जंगल के दावेदार’ से ‘बागी बलिया’ तक सबके राइट्स ले चुके फिल्मकार
नीलोत्पल मृणाल के उपन्यास ‘द डार्क हाउस’, शशिकांत मिश्रा के उपन्यास ‘नॉन रेजिडेंट बिहारी’ और सत्य व्यास के उपन्यास ‘बागी बलिया’ के राइट्स भी ले लिए गए हैं। राजकमल प्रकाशन के डायरेक्टर अलिंद माहेश्वरी बताते हैं कि फिल्मों के लिए उनकी कई रचनाओं के राइट्स ले लिए गए हैं, लेकिन इसकी घोषणा प्रोडक्शन हाउस ही करें तो अच्छा है।

अलिंद के अनुसार, जिन किताबों पर प्रोडक्शन हाउस से लगभग बात फाइनल है, वे हैं- महाश्वेता देवी का उपन्यास ‘जंगल के दावेदार’, नवीन चौधरी का ‘जनता स्टोर’, अनुराधा बेनीवाल का ‘आजादी मेरा ब्रांड’, अवधेश प्रीत का ‘अशोक राजपथ’, मनोहरश्याम जोशी का ‘कसप’ उपन्यास। Source link

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